पता नहीं कहाँ से आया था और जब आया ही तो पहले क्यों नहीं। तब मैं चौथे सेमेस्टर में थीं,जब वह मेरे कॅालेज में आया था,आश्चर्य ! आश्चर्य मुझे भी हुआ था आख़िर चौथे सेमेस्टर में कोई कैसे काॅलेज में दाख़िला ले सकता हैं।और यही बात मैंने उससे मौका मिलते ही पूछ डाला।खैर,उसने जो भी बताया,मुझे कुछ समझ नहीं आया , और चूँकि मैं उसे समझना चाहती थीं सो उसके अन्य बातों को समझने में अब मेरी दिलचस्पी बढ़ गई थी। हाँ, तो वह कहता था कि उसने काॅलेज में दाखिला थोड़े ही लिया हैं,वह तो CIC ...
चप्पा-चप्पा...मंजर-मंजर...