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Showing posts from January, 2018
Photo #ACP मैं इंतजार करता हूँ कि, अचानक से रूठ कर किसी अजनबी रास्ते पे चली गयी तुम लौट आओगी किसी संध्या, जब बहुत से पंछी लौटते है अपनी घोसले की ओर। # ACP

【मैं माँ से पूछना चाहता था, उनके प्रेमी के बारे में】

मैंने अपनी एक उम्र में बहुत सी कविताएं लिखी है, और अक्सर ही उन कविताओं को मैं अपनी प्रेमिका को भेज दिया करता था क्योंकि वे उन्हीं के लिए लिखी गयी होती थी। जीवन के युवावस्था में वह मेरी जिंदगी में आयी और हमने खूब उड़कर प्रेम किया फिर पता नहीं क्यों, एक दिन वह चली गयी? उनके जाने के बाद भी मैं कविता लिखता ही रहा कभी उन्हें मनाने की कोशिश करता तो कभी उनके जाने की कारणों को कविता में तलाशता तो कभी उनसे लौट आने की गुहार भी लगाता पर वह फिर लौट कर कभी नहीं आयी मैं कविता लिखता रहा पर न जाने क्यों, धीरे-धीरे मेरा मन लिखने से उचटने लगा और मैंने लिखना छोड़ दिया। फिर एक लंबे अरसे तक मैंने कभी कोई कविता नहीं लिखा। वह दिसम्बर का कोई तारीख रहा होगा, जब यूँ ही भटकते हुए मैं कन्याकुमारी पहुंच गया था, और डूबती दिन के, अंतिम पहर में समुद्र किनारे टहल रहा था, समुद्री जल दूर से भागती हुई आती और मेरी पाँव को भींगो वापस चली जाती मैं समुद्र के इस शरारत को देख ही रहा था कि अचानक से मुझे मेरी माँ याद आ गयी। मेरी माँ ने कभी कोई समुद्र नहीं

【किसी का भटकाव, सारी मनुष्यता के लिए, एक जरूरी फायदा है】

हर कोई भीड़ से दूर चला जाना चाहता है, किसी ऐसी जगह पे जहाँ उसके होने की शर्त खत्म हो जाये। कोई उससे न कहे कि तुम ये हो और तुम्हारी जिम्मेदारी यह है। मनुष्य जाने-अनजाने ऐसी ही जगह को तलाश रहा होता है, और जब कभी भी वह अपनी भागदौड़ से समय निकाल पाता है लग जाता है उस जगह की तलाश में भटकता जाता है, भटकता जाता है, और फिर भी वह कोई ऐसी जगह नहीं ढूंढ़ पाता जहाँ वह पूर्णता को महसूस कर सका हो जहाँ उसे लगा हो कि हाँ, मैं यहीं आना चाहता था। इसलिए शुरुआती भटकाव उसे और भटकने को उकसाता है। आदमी के अंदर ही एक गहराई होती है किसी कुएँ से भी गहरी गहराई उसका भटकाव ही उसे उसकी गहराई में उतारता जाता है और भले ही अपनी भटकाव में उसने पूर्णता का अनुभव न किया हो पर वह मनुष्यता को उपलब्द होता जाता है। किसी का भटकाव सारी मनुष्यता के लिए एक जरूरी फायदा है।। मनुष्य को भटकते रहना चाहिए ताकि, वह खुद को उपलब्द हो सके ताकि, वह मनुष्यता को उपलब्द हो सके।।

【समुद्र इतना अशांत क्यों होता है?】

बहुत बार समुद्र के  अलग-अलग किनारों पे  मैं बैठा हूँ, और हरेक दफ़े समुद्र मुझे उतना ही अशांत और उतावला दिखा है, जैसे अपनी प्रकृति के अनुकूल  अपनी धारा में किसी को आने नहीं देना चाह रहा हो। मैं देखता जाता हूँ किसी नाविक को, और उसके नाव को जो निरन्तर संघर्ष करता हुआ  समुद्र की बाहों में समा जाना चाहता है, बहुत दूर, जहां तक मेरी नजरें देख सकती है वहाँ एक चट्टान है, बड़ी और काली चट्टान, उतावला समुद्र ये भी नहीं समझता  और वह उससे लगातार टकराता हुआ चट्टानों को भी अपनी सिमा से खदेड़ देना चाहता है। बहुत बार जब भी मैं बैठा हूँ समुद्र किनारे, यही सोचता हूँ कि समुद्र इतना अशांत क्यों हैं जबकि हर कोई तो  समुद्र किनारे  आकर शांति पाना चाहता है। #ACP
photo - #ACP 【बचपन के दुःख】 वैसे तो हम सारा दिन ही, विद्यालय में पढ़ते हैं। फिर भी टीचर क्यों रोज हमें, होम वर्क देते हैं। घर में माँ-पिताजी ने भी, ट्यूशन रख कर दुखी किया। ऊपर से इस होम वर्क ने, खेल शाम का बन्द किया। सूरज आने से पहले ही, माता जी ने उठा दिया। बचा हुआ जो होम वर्क था, करने के लिए बिठा दिया। पढ़कर टीचर से भी मुझे, समझ कुछ नहीं आता है। कॉपी पर लिखकर रटते, मेरा सिर दुख जाता है। यह शिक्षा रहने वाली है, आगे काम न आएगी। लगता है हम बच्चों का यह, बचपन छीन कर ले जाएगी। ~अज्ञात  #ACP   #ImagethroughmyEyes

【"....तो पाना एक भ्रम है।जबकि खोना ही सच्चाई है...." 】

"....देखिए! जन्म एक प्रवेश है।जीवन मे प्रवेश।और जीवन का कैनवास इतना बड़ा है कि प्रवेश के बाद अंत असंभव सा लगता है और जिस बिंदू पर जाकर कुछ नहीं बचता, लगता है कि अब बस कुछ शेष नहीं, तो दरअसल शेष तो अभी भी है पर वहीं मृत्यु से भेंट होती है। वहीं सबकुछ पीछे रह जाता है। और हम अपने आने के मकसद को उपलब्द होते है। यद्यपि जन्म मृत्यु तक पहुंचने की समानांतर ट्रैक है। एक बिंदू जन्म है और दूसरा मृत्यु। ताउम्र इन दो बिंदुओं के बीच एक तय दूरी बनी ही रहती है। भले ही दो ट्रैक इधर से उधर सर्पिला होता जाए। फिर ताउम्र जिस चाह में हम लगे होते है, भागमभाग में होते है और जिसे पा लेने को हम अपनी उप्लब्दी मानते है, वह मात्र एक भ्रम ही तो होता है। सच्चाई से कुछ दूर पीछे का भ्रम। जबकि एक दिन हम सब कुछ खो देते है। तो हम सब ताउम्र कुछ न कुछ खोते रहते है, पाते कुछ नहीं है। और दरअसल जिसे हम पाना कहते है वह मात्र एक भ्रम होता है...."। Photo - ACP टेबल के एक किनारे रखे लैम्प की रोशनी में टक-टक की आवाज अचानक से थम जाती है।लैपटॉप के की-पैड पर दौड़ता नायक का हाथ रुक जाता है जब उसकी नज़र सामने रखे