Skip to main content

Posts

Showing posts from December, 2018

एक हारा हुआ इंसान।

Photo: Google दुनिया मे जिसने बम और बंदूके बनाई वह भी तो मानव ही था, उसका भी तो कोई समाज रहा होगा, उसके घर परिवार मम्मी-पापा रहें होंगे। मैं सोचता हूँ कई दफ़े, कि उसने बम और बंदूके बना कर, अपने किस धर्म का पालन किया? क्या वह एक अच्छा बेटा बन पाया या एक देशप्रेमी या किसी वंचित समाज का रक्षक, पता नहीं,  वह क्या चाहता था? रॉबर्ट, जिसने बस जैसे ख़तरनाक खोज की। क्या वह चाहता था कि वह कोई नवीनतम खोज करें, या वह चाहता था, उसकी बनाई बम और बंदूकों से सारी दुनिया मे वह समाज और धर्म बना दी जाए जिस समाज और धर्म में वह पैदा हुआ है? पता नहीं! वह क्या चाहता था। और वैसे भी क्या फर्क पड़ जाता है इस बात से कि, वह क्या चाहता था? उसके स्पष्ट कर देने भर से, दुनिया की इतनी हिंसा तो नहीं रुक जाती? Photo: google  फिर भी यह मान लेने के बजाए कि उसकी खोज महज एक दुर्घटना थी, मैं सोचता जाता हूँ कि, उसने बम और बंदूके क्यों बनाई? क्यों बनाई उसने ऐसा कुछ जो मानव को मानव से जोड़ने के बजाए पल भर में नष्ट कर देता है।

अकेले आये है, अकेले जाएँगे।

बहुत से लोगों को मैं जानता हूँ और उनमें बहुत से लोग मुझे भी जानते है फिर भी मैं कभी कभी अकेला बच जाया करता हूँ मेरे पास कोई नही होता और कुछ लोग पास होकर भी बहुत दूर ही होते है। मैं ऐसे बहुत से लोगों को जानता हूँ जिनसे मैं चैट कर सकता हूँ फेसबुक पे मेरे छह सौ दोस्त है फिर भी कभी कभी मैं तन्हा बच जाया करता हूँ। मैं चैट को ऑन कर देता हूँ और घण्टो उनमें झांकता रहता हूँ मैं तय नहीं कर पाता कि मैं किसको मैसेज करूँ और उधर से भी किसी का मैसेज नही आता। मेरे कांटेक्ट लिस्ट में भी बहुत से नंबर सेव है मैं उन गलियों में भी घूम आता हूँ और अंत मे उकता कर मोबाइल एक साइड में रख देता हूँ। पर तन्हाई मुझे कचोटती रहती है मैं समझ नही पा रहा होता हूँ कि क्या करूँ, फिर मैं मोबाइल उठा लेता हूँ और सोचता हूँ कि माँ को कॉल करूँ माँ,एकमात्र है जो मुझे समझ सकती है इसलिए मैं उनको भी कॉल नही करूँगा वे भाँप जाएंगी कि मैं परेशां-परेशां सा हूँ और मुझसे ढ़ेरो सवाल पूछने लगेगी मैं इस स्तिथि में हूँ नहीं कि उनके सवालों का जवाब दे सकूँ। फिर मैं स

तकिए के नीचे का साँप।

कई दफ़े, सोने से पहले मुझे लगता है  तकिये के नीचे एक साँप है  और जैसे ही मैं उसपे सर रखूँगा वह बाहर निकलेगा और मुझे डंस लेगा। या कुछ यूं होगा कि मुझे नींद आते ही इन अंधेरों में गुम एक अदृश्य शक्ति मुझे उठाकर दूर कहीं ले जायेगी, वहाँ सिर्फ अंधेरा ही होगा ऐसा अंधेरा जिसमें हम चाहकर भी कुछ नहीं देख सकते। फिर कोई मेरे घुँघराले बाल को खींचेगा और अगले ही पल मुझे महसूस होता है कि वह मेरे बालों को काट रहा है। मैं हाथ भाजने की कोशिश करता हूँ  पर मुझे अगले ही पल पता चलता है कि मेरे तो हाथ है ही नहीं और कटे बाजुओं से गिरते खून में मेरा पूरा पीठ भींग गया है। photo : Gettey पर वह मेरी बाल को अब भी काट रहा है इसलिए मैं तुरंत ही बचे साहस के साथ अपना पैर ऊपर करता हूँ, और तब ही वह मेरे पैर को भी पकड़ लेता है और उसे ऊपर उठा कर धीरे-धीरे काटने लगता है   पैर को काटे जाने से गिरता रक्त चुता हुआ मेरे सीने पर अब जमने लगा है जिससे, अब  मैं अपने सिने पर एक भार महसूस करने लगा हूँ। मुझे उन रक्तो को अपने सिने से हटाना होगा और ऐ

चाहिए और होने के बीच.

होना तो ये चाहिए था कि जाती हुई तुम लिख जाती एक कविता मेरे मन पे और मैं जब चाहता उसे पढ़कर तुम्हारे होने को जी लेता पर हुआ यह कि तुम यह बताये बिना ही चली गयी कि अगली दफ़ा कब मिलोगी और आज भी मैं तुम्हारे आने की बाट जोह रहा हूँ. अक्सरहां चाहिए और होने के बीच एक फासला होता है कोई ताउम्र कोशिश करता रहता है कि उन फसलों को मिटा दे पर कहां मिट पाता है.