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Photo: Google |
दुनिया मे जिसने बम और बंदूके बनाई
वह भी तो मानव ही था,
उसका भी तो कोई समाज रहा होगा,
उसके घर परिवार मम्मी-पापा रहें होंगे।
मैं सोचता हूँ कई दफ़े, कि
उसने बम और बंदूके बना कर,
अपने किस धर्म का पालन किया?
क्या वह एक अच्छा बेटा बन पाया
या एक देशप्रेमी
या किसी वंचित समाज का रक्षक,
पता नहीं,
वह क्या चाहता था?
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रॉबर्ट, जिसने बस जैसे ख़तरनाक खोज की। |
क्या वह चाहता था कि
वह कोई नवीनतम खोज करें,
या वह चाहता था,
उसकी बनाई बम और बंदूकों से
सारी दुनिया मे वह समाज और धर्म बना दी जाए
जिस समाज और धर्म में वह पैदा हुआ है?
पता नहीं!
वह क्या चाहता था।
और वैसे भी क्या फर्क पड़ जाता है इस बात से कि, वह क्या चाहता था?
उसके स्पष्ट कर देने भर से,
दुनिया की इतनी हिंसा तो नहीं रुक जाती?
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Photo: google |
फिर भी यह मान लेने के बजाए कि
उसकी खोज महज एक दुर्घटना थी,
मैं सोचता जाता हूँ
कि, उसने बम और बंदूके क्यों बनाई?
क्यों बनाई उसने ऐसा कुछ जो
मानव को मानव से जोड़ने के बजाए पल भर में नष्ट कर देता है।
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