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Showing posts from December, 2015

इश्क़िया नीलामी

'अरे  आकाश!जगो  भी' माँ  की आवाज  मेरे   कानों   में   पड़ी।मैंने  कोई  जवाब  दिए बिना  करवट  बदल ली।   'पापा  बुला  रहे  हैं ' ' माँ ! सोने  दो न' मैंने   दूसरी  बार  करवट   बदली।और  तकिए  में  सर गोत  लिया ।   ' जामिया  की  लिस्ट  आ गई  हैं।तुने   तो   कहा   था  कि  कुछ  लिखा  ही   नहीं '   'सही  तो   कहा   था।लिस्ट   देखना  भी  नहीं ' 'मैने  तो  मान  ही   लिया   था  पर तेरे पापा  ने  देखा' ' वो   कुछ  बोल भी रहे  थे ' मैंने  फिर से  करवट  बदली। 'हाँ' 'अब  तो  डाँट  पड़ेगी   ही..... पर   वैसे  क्या बोल रहे  थे ' 'बोल रहे  थे  कि  तुम्हारे   एडमिशन   में   मुझे  भी साथ चलने को' 'क्या?'   मैं   चौकते   हुए  उठ  बैठा।माँ  एक दम  सामने   खड़ी   थीं । ' हाँ।तु  पास हो गया  हैं'   ' मै   काॅफि   लाती   हूँ,तु   मुँह   धो   ले'।उनकी  आवाज  पीछे  छूट  गई। ये   कैसे  हो  सकता   हैं   जबकि   मैंने  एक भी प्रश्न का उत्तर  दिया   ही   नहीं