Skip to main content

Posts

Showing posts from January, 2019

अगली सुबह को चली जाने वाली प्रेमिका।

आज की रात के बाद तू चला जायेगा फिर मैं रह जाऊँगा। तुम्हारा चले जाना मेरा मिटना है आखिर बचा ही कितना हूँ खुद में। जो मुझमें था भी वह तुम थी, और तुम आज की रात के बाद कल तुम चली जाओगी। फिर कुछ बच जायेगा जैसा अक्सरहां बच जाया करता है मैं उनमें रह लूँगा तुम चली जाना आखिर ठहरता ही कौन है! पर मैं सोच रहा हूँ आज की रात के बाद कल जब तुम चली जाओगी तब मैं क्या करूँगा? क्या उन लम्हों में भी मैं तुम्हारी आँखों में झांक पाउँगा जैसा कि मैं वर्षों से झाँकता रहा हूँ और क्या तुम पलकें उठा पाओगी? तो,मैं सोच रहा हूँ कि, जब तुम जाओगी तब मैं क्या करूँगा! तब शायद मैं आसमां की ओर नजरें उठा लूँगा या धरती में नजरों को डूबा दूँगा तुम चुपके से चली जाना। और सुनो, अपनी आहटों को भी साथ लेती जाना देखना,एक कदम भी वह पीछे न रह जाये वरना कहीं वह मुझे न खींच ले। या यूं करना कि मेरी आँखों पर एक पट्टी बाँध देना और कानों में रुई डाल देना फिर तुम चली जाना, पर अगर कहीं धड़कनों ने तुम्हें महसूस कर लिया तो फिर मैं क्या करूँगा?