कई दफ़े, सोने से पहले मुझे लगता है
तकिये के नीचे एक साँप है
और जैसे ही मैं उसपे सर रखूँगा
वह बाहर निकलेगा और
मुझे डंस लेगा।
या कुछ यूं होगा कि
मुझे नींद आते ही
इन अंधेरों में गुम
एक अदृश्य शक्ति
मुझे उठाकर दूर कहीं ले जायेगी,
वहाँ सिर्फ अंधेरा ही होगा
ऐसा अंधेरा जिसमें हम चाहकर भी
कुछ नहीं देख सकते।
फिर कोई मेरे घुँघराले बाल को खींचेगा
और अगले ही पल मुझे महसूस होता है कि
वह मेरे बालों को काट रहा है।
मैं हाथ भाजने की कोशिश करता हूँ
पर मुझे अगले ही पल पता चलता है
कि मेरे तो हाथ है ही नहीं
और कटे बाजुओं से गिरते खून में
मेरा पूरा पीठ भींग गया है।
photo : Gettey |
पर वह मेरी बाल को अब भी काट रहा है
इसलिए मैं तुरंत ही बचे साहस के साथ
अपना पैर ऊपर करता हूँ,
और तब ही वह मेरे पैर को भी पकड़ लेता है
और उसे ऊपर उठा कर धीरे-धीरे काटने लगता है
पैर को काटे जाने से गिरता रक्त
चुता हुआ मेरे सीने पर अब जमने लगा है
जिससे, अब
मैं अपने सिने पर एक भार महसूस करने लगा हूँ।
मुझे उन रक्तो को अपने सिने से हटाना होगा
और ऐसा करने के लिए मैं अपनी जीभ निकालता हूँ
मुझे आश्चर्य होता है कि
यह सामान्य से ज्यादा निकलता हुआ
सिने तक पहुंच जाता है
मैं रक्त को जीभ से टटोलने लगता हूँ
जमा हुआ रक्त धीरे-धीरे उभरने लगा है
और इस तरह मेरा पूरा जीभ
लहू के रंग में रंग गया।
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मुझे अब अपने ही जीभ से घिन्न होने लगी है
मैं जीभ को सिने के दूसरी तरफ घिसता हूँ
ताकि कुछ रक्त सिने में धूल जाए
पर तभी सिने पर एक जोरदार आक्रमण होता है
और
मेरा जीभ और सिना कट कर क्षत-विक्षत हो जाता है।
वह अब भी मेरे बालों को काटने की कोशिश कर रहा है
पर उसके हथियार मेरे घुंघराले बालों में उलझ जाते है
जो तमाम कोशिशों के बाद भी
वह निकाल नहीं पा रहा है।
वह मेरे बालों को खीचता है
जोर से,
जितनी जोर से वह खीच सकता है
पर बाल सर से अलग नहीं हो पा रहा है
तभी दूर एक चिंगारी जलती है
और जल्दी ही जलती हुई
दूर तक फैलने लग जाती है।
दूर जलता आग
अब मेरी आँखों में उतरने लगा है
वह मेरी बालों को घसीटता हुआ
आग के करीब ले जा रहा है।
निश्चित ही अब वह मेरे सर को आग में डाल देगा
पर वह ऐसा नहीं करता है
पहले वह मेरे बालों को जलाता है
फिर धीरे-धीरे उसका हथियार मेरे बालों से मुक्त हो गया है,
जलती आग में उसका हथियार भी काफी तप गया है
शायद वह अब अपनी हथियार को फेक देगा।
वह मेरा सर खीचता हुआ फिर वही ले आता है
जहाँ मेरे जिस्म के खून बिखरे पड़े है
अपने दोनों पैरों से वह
मेरे सर को बगल से सहारा देता है
जो बार-बार ढुलक जा रहा था
और अगले ही पल सबसे भयावह क्षण को
वह आने का मौका देता है
धीरे-धीरे उसकी आरी मेरे माथे को चीरने लगती है
और फिर पता नहीं क्या होता है।
बिस्तर पर लेटने के बाद
अक्सर मुझे ये सपना आता है
कई बार यह सपना
मुझे बेहद ही भयावह लगता है
मैं डर जाता हूँ और
उठकर बिस्तर से दूर कहीं भाग जाना चाहता हूं
पर रात में कोई कहीं से भाग भी सकता है क्या!
उसे लौटकर बिस्तर पर ही तो आना है।
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