पता नहीं कहाँ से आया था और जब आया ही तो पहले क्यों नहीं।
तब मैं चौथे सेमेस्टर में थीं,जब वह मेरे कॅालेज में आया था,आश्चर्य ! आश्चर्य मुझे भी हुआ था आख़िर चौथे सेमेस्टर में कोई कैसे काॅलेज में दाख़िला ले सकता हैं।और यही बात मैंने उससे मौका मिलते ही पूछ डाला।खैर,उसने जो भी बताया,मुझे कुछ समझ नहीं आया,और चूँकि मैं उसे समझना चाहती थीं सो उसके अन्य बातों को समझने में अब मेरी दिलचस्पी बढ़ गई थी।
तब मैं चौथे सेमेस्टर में थीं,जब वह मेरे कॅालेज में आया था,आश्चर्य ! आश्चर्य मुझे भी हुआ था आख़िर चौथे सेमेस्टर में कोई कैसे काॅलेज में दाख़िला ले सकता हैं।और यही बात मैंने उससे मौका मिलते ही पूछ डाला।खैर,उसने जो भी बताया,मुझे कुछ समझ नहीं आया,और चूँकि मैं उसे समझना चाहती थीं सो उसके अन्य बातों को समझने में अब मेरी दिलचस्पी बढ़ गई थी।
हाँ,तो वह कहता था कि उसने काॅलेज में दाखिला थोड़े ही लिया हैं,वह तो CIC से है और एक ही सेमेस्टर हमारे साथ पढ़ेगा। जबतक मैं पलट के कहती कि एक क्यों ! मैं तो चाहती हूँ कि अब तो तुम यहीं पढ़ो। और तब बुद्धू फट से बोलता 'क्या'! मैं क्या कहती; कुछ नहीं। फिर कुछ नहीं बोलता और आसमान ताकने लग जाता। कुछ पलों तक जब नहीं बोलता फिर मैं ही कहती 'मुझे देखो न'! फिर बुद्धू का वही जवाब 'क्या?'
मैं आसमान झांकने लग जाती, कुछ पल वह मुझे निहारता फिर आसमान को और मैं उसे।फिर मैंने सहसा ही बोल दिया 'अच्छा तुम CIC वाले love-shubh नहीं करते क्या?'
पहली बार हमारी नजरें टकराई और फिर नजरें हटाते हुए बोला 'क्या?'
मैं पिनक गई 'यही की पिछले तीन सेमेस्टर में तुमने केवल 'क्या' ही सीखा। वह मुस्कुराया और एक पल को एहसास करा गया कि वह बुद्धू नहीं हैं।
क्लास में वह ज्यादा नहीं बोलता और चुपचाप आगे बैठ जाया करता।और मैं उसके ठीक पीछे।सोचती कि मुड़ेगा पर कभी नहीं मुड़ता। एक दिन क्लास से निकलते ही मैं उसके समानांतर आती हुई बोली, 'तुम कभी पीछे क्यों नहीं मुड़ते'?
उसने चलते-चलते मेरी ओर देखते हुए बोला, 'क्या?'
मैं क्या कहती, बोली 'कुछ नहीं'।
हम साथ-साथ कैंटिन तक आए,साथ-साथ बैठे; उम्मीद थी कि साथ ही आॅर्डर करेंगें, पर उसने अपने लिए कूपन ले लिए,मैं देखती रह गई।
गुस्सा भी नहीं आ रहा था क्योंकि हर काम वह बड़े ही सहज ढ़ंग से किए जा रहा था।
गुस्सा भी नहीं आ रहा था क्योंकि हर काम वह बड़े ही सहज ढ़ंग से किए जा रहा था।
अच्छा,'तुम CIC वाले इतने मतलबी क्यों हो?'
मुझे लगा वह फिर से 'क्या' बोलेगा पर इस बार केवल मुस्कुराया और प्लेट कुछ आगे बढ़ा दिया। मैंने खाने से मना कर दिया।अगले कुछ पलों तक हमारे बीच खामोशी और कैंटिन में कोलाहल जारी रही. फिर मैं कुछ बोलने ही वाली थी कि उसकी आवाज फूल सनटेंस में निकली 'अब तक कितने CIC वालों से मिल चुकी हो तुम ?
कमबख्त मुस्कुरा रहा था। 'क्या?'
निश्चित ही मुझे हैरानी हुई थी।
और फिर हम दोनों ही मुस्कुरा पड़े।
'तुम ऐसे ही हो क्या?' मैंने झट से पूछा, और वह कुछ बोलता इससे पहले मैं फिर बोल पड़ी 'प्लीज इसबार 'क्या' मत बोलना'।उसके दांत दिखे,मेरे ! शायद।
वह tissue पेपर उठाता हुआ बोला 'मै ऐसा हूँ या नहीं, पर तुम बिल्कुल ऐसी ही हो'। सच कहूँ तोमुझे समझ नहीं आया कि पूछ रहा है या बता रहा है, और इस तरह हम कैंटिन से बाहर आ गए।
'तुम CIC वाले सही से बात भी नहीं कर सकते'। मैं उसकी तरफ देखे बिना ही बोली। पर इतना तो देख पाई कि वह मुस्कुराया है।
'खुल कर हँसते भी नहीं' मैं फुसफुसाई। और उसके आवाज़ निकले 'चलो! वहाँ बैठते हैं'।हम घास पर बैठ गए।मैं उसे देखती और वह,वह रामजस के अन्य जोड़ों को। मैं मुस्कुराई। फिर वह झट से बोल पड़ा 'क्या हुआ?'
मैं क्या कहती,बोली 'कुछ नहीं'।
'कहानी सुनोगी?' उसने अपने सेलफाॅन निकाले।
'किसकी हैं?' मैं उत्सुकतावश पूछ बैठी।
उसके भाव से लग गया कि,शायद उसका ख़ुद का ही लिखा है।
'तुम CIC वाले कहानी भी लिखते हो?'
वह तपाक से बोला 'नहीं'।
'अच्छा !! फिर किसकी हैं'
'मेरी'
'पर तुमने तो कहा कि यह तुम्हारा नहीं हैं'
'हाँ ! पर मैंने ऐसा तो नहीं कहा न !
'हूँ !!'
हम दोनो मुस्कुराए।
'अच्छा ! एक बात पूछूँ',उसने ऐसे देखा मानो कह रहा हो पूछो।
'हमारा साथ होना तुम्हें अजीब नहीं लगता'
'अजीब ? क्यों ?'
'मतलब स्वाभाविक लगता हैं'
'हाँ !! तुम CIC वालों के बारे में जानना चाहती हो इसलिए मेरे साथ हो'।
वह बड़े ही सहज ढ़ंग से बोल गया और मैं फुसफुसाई 'कितने बुद्धूबुध्दू हो तुम'। उसकी आवाज़ मेरे कानों में पड़ी 'क्या?'
'तुम इतने सहज कैसे हो सकते हो'
'क्योंकि मैं जानता हूँ तुम मेरे बारे में जानना चाहती हो।..................................................।और पता है हम CIC वाले love-shubh भी करना जानते हैं, तभी तो तुमसे love हो गया।'
इतना सुनते ही मेरे मुँह से सहसा ही निकल पड़ा 'क्या?'
और वह मुस्कुराता हुआ बोला 'पिछले तीन सेमेस्टर में यही केवल 'क्या' सीखा।
मैं क्या कहती,बोली 'पगला कहीं का !!'
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