एक उदास कविता
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तो,ऐसा कभी नहीं होता था
कि,तुम नहीं होती थी
तुम्हारी उपस्थिति मेरी आदत थी
और तुम्हारा सौंदर्य
पर,अब तुम नहीं हो
और यह मेरा सत्य है
तुम्हारा सत्य तो कहीं और होना है
इसलिए तुम चली गई हो
सब कहते है
तुम जहाँ गयी हो
लोग वहाँ से वापस नहीं आते
पर यह कैसा जाना हुआ
जब हम लौट कर ही ना आ पाएं
इसलिए मैं इंतज़ार करूँगा
कभी इस रास्ते पर
तो कभी उस रास्ते पर
तुम किस रास्ते गयी थी
मुझे ये भी तो नहीं पता न !
©ACP
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