यादें
*****
तुम अपने जाने के बाद भी
मेरी स्मृति में हमेशा जीवित रही हो
मैं उनके साथ जीता-मरता रहा हूँ
एक वक्त के बाद लगता रहा है कि
तुम खुद ब खुद भूला दी जाओगी
या कुछ ऐसा होगा कि जिंदगी की भागदौड़ में
मैं तुम्हें भूल जाऊंगा
पर अक्सरहां वो नही होता न
जो होना चाहिए था
जैसे कि निश्चित ही मुझे
तुम्हें भुला देना चाहिए था
क्योंकि तुम्हारी स्मृति
बहुत सी ऐसी यादों को खंगाल आती है
जिनमें मैं लौटना नहीं चाहता
वहां सिर्फ और सिर्फ तन्हाई है
तुमसे बिछोह के ढ़ेरो किस्से है
तो मैं उधर नही लौटना चाहता
पर उन्हीं यादों में चंद यादें तुम्हारे साथ बीते पलों की है
और
उन खूबसूरत पलों ने ही तो स्मृति को जीवित रखा है
परंतु सालो बाद आज भी वे स्मृति मुझे तन्हा कर देती है
भीड़ में मैं अकेला बचा रह जाता हूँ
मैं अक्सर सोचता हूँ कि
तुम क्यों चली गयी
पिछले कई वर्षों में मुझे यह सवाल
सबसे ज्यादा परेशां करता रहा है
क्योंकि
कभी भी मैं इसका समुचित उत्तर नही ढूंढ़ पाया
फिर भी मैं सोचता रहता हूँ
शायद उत्तर जान लेने भर से कुछ बदल जायेगा
पर मुझे पता है
कि, बदलाव इतना आसान नही
इसलिए मैंने अब तय किया है कि
मैं तुम्हारी यादों को आहूति दे आऊंगा
कहीं दूर जाकर किसी कोने में छोड़ आऊंगा
फिर शायद एक नई जिंदगी शुरू कर सकूं
पर क्या तुम्हारी यादों को कहीं छोड़ आना
आसान होगा?
©ACP
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तुम अपने जाने के बाद भी
मेरी स्मृति में हमेशा जीवित रही हो
मैं उनके साथ जीता-मरता रहा हूँ
एक वक्त के बाद लगता रहा है कि
तुम खुद ब खुद भूला दी जाओगी
या कुछ ऐसा होगा कि जिंदगी की भागदौड़ में
मैं तुम्हें भूल जाऊंगा
पर अक्सरहां वो नही होता न
जो होना चाहिए था
जैसे कि निश्चित ही मुझे
तुम्हें भुला देना चाहिए था
क्योंकि तुम्हारी स्मृति
बहुत सी ऐसी यादों को खंगाल आती है
जिनमें मैं लौटना नहीं चाहता
वहां सिर्फ और सिर्फ तन्हाई है
तुमसे बिछोह के ढ़ेरो किस्से है
तो मैं उधर नही लौटना चाहता
पर उन्हीं यादों में चंद यादें तुम्हारे साथ बीते पलों की है
और
उन खूबसूरत पलों ने ही तो स्मृति को जीवित रखा है
परंतु सालो बाद आज भी वे स्मृति मुझे तन्हा कर देती है
भीड़ में मैं अकेला बचा रह जाता हूँ
मैं अक्सर सोचता हूँ कि
तुम क्यों चली गयी
पिछले कई वर्षों में मुझे यह सवाल
सबसे ज्यादा परेशां करता रहा है
क्योंकि
कभी भी मैं इसका समुचित उत्तर नही ढूंढ़ पाया
फिर भी मैं सोचता रहता हूँ
शायद उत्तर जान लेने भर से कुछ बदल जायेगा
पर मुझे पता है
कि, बदलाव इतना आसान नही
इसलिए मैंने अब तय किया है कि
मैं तुम्हारी यादों को आहूति दे आऊंगा
कहीं दूर जाकर किसी कोने में छोड़ आऊंगा
फिर शायद एक नई जिंदगी शुरू कर सकूं
पर क्या तुम्हारी यादों को कहीं छोड़ आना
आसान होगा?
©ACP
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