अक्सर मैं तुमसे कुछ सुनने के लिए
बहुत ज्यादा बोल जाता हूँ
मैं बोलता जाता हूँ
कि, तुम भी बोलोगी
और तुम
सुनती जाती हो
सिवाय अच्छा है, बढ़िया है
कहने के।
अक्सरहां जब भी मैंने तुम्हें मैसेज किया है
यही उम्मीद किया है कि
आज मैं जी भर के तुम्हें सुनूँगा
पर उम्मीदों का स्तर भी तो
हम तक ही सीमित होता है
इसलिए
कभी तुम मेरी इस उम्मीद को पूरी नहीं कर पाई
फिर भी
मैं आज भी आशांवित हूँ
किसी दिन तुम जी भर कर बोलोगी
और मैं तुम्हारा श्रोता होऊँगा
सिवाय यह कहने के कि
अच्छा है बढ़िया है।।
कोई किसी को क्यों सुनना चाहता है
मेरे लिए यह प्रश्न अब महत्वपूर्ण नहीं रह गया है
बल्कि इसके कि
कोई किसी के सामने खुलता क्यों नहीं
वह अपने सुख-दुख क्यों नहीं बाँटना चाहता
निश्चित ही मैं तुम्हारा कल का बना दोस्त नहीं हूँ
और न ही वर्षों से तुम्हें जानने वाला कोई शख्स
पर मैं तुम्हारा प्रेमी हूँ
जो तुम्हारे बारे में ही जानना चाहता है
उसके लिए देश दुनिया अब उतना ही पराया है
जितना कि किसी विरही के लिए
दूर का कोई गाँव
और सबकुछ मैं तुम्हीं से जान लेना चाहता हूं
हो सकता है
मैंने अब तक उस विश्वास को हासिल नहीं किया हो
जिसकी छाव में तुम मेरी बाहों में सुस्ता सको
पर मैं अपनी तमाम उम्र उस छाव की तैयारी में
लगा देना चाहता हूँ।।
©ACP
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