साथ बिते वक्त की तुलना में
हमारे बिछोह का वक्त ज्यादा है
हमारे हिस्से,
इसलिए एक वक्त में
मिलने से बिछुड़ने तक
बिता वक्त एक स्थिर घटना है
हमारे लिए,
जिसमें समय से ज्यादा हम खुद घटते है।
मिलने से बिछुड़ने तक
बिता वक्त एक स्थिर घटना है
हमारे लिए,
जिसमें समय से ज्यादा हम खुद घटते है।
यूँ फिर मिलन के बाद की जुदाई में
स्थिरता आ जाती है
हमारे बीच,
अगली मिलन तक के लिए।
स्थिरता आ जाती है
हमारे बीच,
अगली मिलन तक के लिए।
जब यादें हमारे अंदर घटती रहती है
हमारा चित्त,
एक-दूसरे से बहुत दूर होते हुए भी
यादों में करीब होता है।
हमारा चित्त,
एक-दूसरे से बहुत दूर होते हुए भी
यादों में करीब होता है।
इतना करीब कि,
इन नजदीकियों में
मिलन के बाद कि जुदाई ही,
शाश्वत लगती है
बाकी सभी सन्नाटे ही लगते है।।
इन नजदीकियों में
मिलन के बाद कि जुदाई ही,
शाश्वत लगती है
बाकी सभी सन्नाटे ही लगते है।।
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