कहां-कहां से मिटाओगी मुझे
अपने फेसबुक के वॉल से हटा दोगी
डायरी के पन्नों से
उन एक एक शब्द को काट कर दूर फेक दोगी
जो तुमने मेरे बारे में लिखा है,
अपनी उन सारी फोटोज को भी जला डालोगी
जिसे मैंने क्लिक किया है?
अपने फेसबुक के वॉल से हटा दोगी
डायरी के पन्नों से
उन एक एक शब्द को काट कर दूर फेक दोगी
जो तुमने मेरे बारे में लिखा है,
अपनी उन सारी फोटोज को भी जला डालोगी
जिसे मैंने क्लिक किया है?
पर उन स्पर्शों का क्या
जो आज भी तुम्हारी जिस्म पर
मेरी एहसास बनकर रेंगती होगी।
जो आज भी तुम्हारी जिस्म पर
मेरी एहसास बनकर रेंगती होगी।
Photo - #ACP |
क्या तुम उन तमाम रातों को भी
मिटा पाओगी,
जो तुमने मेरी आँखों में जागकर बिताए है?
मिटा पाओगी,
जो तुमने मेरी आँखों में जागकर बिताए है?
मुमकिन होगा तुम्हारे लिए,
उन शब्दों को फिर से
अपने किसी नए प्रेमी के लिए गढ़ना
जिसे तुम मेरे लिए कभी गढ़ा करती थी?
उन शब्दों को फिर से
अपने किसी नए प्रेमी के लिए गढ़ना
जिसे तुम मेरे लिए कभी गढ़ा करती थी?
और आज भी
तुम आईने के सामने खड़ी होकर
जब माथे के उस छोटे से गड्ढे के बीच बिंदी टिकाती होगी
तब भी क्या,
इस एहसास को भुला पाती होगी
कि, मैं ठीक तुम्हारे पीछे खड़ा हो
तुम्हें निहार रहा हूँ?
तुम आईने के सामने खड़ी होकर
जब माथे के उस छोटे से गड्ढे के बीच बिंदी टिकाती होगी
तब भी क्या,
इस एहसास को भुला पाती होगी
कि, मैं ठीक तुम्हारे पीछे खड़ा हो
तुम्हें निहार रहा हूँ?
और क्या अब भी तुम चाँद को,
वैसे ही देखती रहती हो घण्टो?
वैसे ही देखती रहती हो घण्टो?
याद है तुम्हें जब यूँ ही चाँद को रात भर देखती हुई
तुम कहती थी मुझसे
"मैं रात भर तुम्हें देखती रही"
क्या तुमने उन रातों को भी भुला दिया है?
तुम कहती थी मुझसे
"मैं रात भर तुम्हें देखती रही"
क्या तुमने उन रातों को भी भुला दिया है?
मुमकिन है,
तुम्हारे लिए आसान रहा हो
यादों को भुला पाना,
या आज भी सारी यादों को बाहर फेंक आयी तुम
मेरी तरह ही उसे फिर से इकट्ठा करती रहती हो?
तुम्हारे लिए आसान रहा हो
यादों को भुला पाना,
या आज भी सारी यादों को बाहर फेंक आयी तुम
मेरी तरह ही उसे फिर से इकट्ठा करती रहती हो?
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