【_बाहर का अंधेरा खिड़की से,
अंदर आ गया था,
जबकि खिड़की बंद थी_】
अंदर आ गया था,
जबकि खिड़की बंद थी_】
अब घंटे भर से चाँद भी हमारे साथ चल रहा था। बस के शीशे से बाहर एक दुनिया दिख रही थी, जिसके ऊपर चाँद चुपचाप स्थिर बैठा था। और उसके दूधिया रोशनी में बस की खिड़की से ऐसा जान पड़ता था कि मैं कोई ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म देख रहा हूँ।
फिर मुझे लगा कि बस का ड्राइवर जो पिछले छह घंटे से भी ज्यादा समय से बस को चला रहा है, कहीं वह भी तो यह फ़िल्म देखने न लग गया और इसलिए बस का लाइट ऑन करना ही भूल गया हो।
मैं अपने केबिन में बैठा बाहर देख रहा था जब उजाला थी।पता नहीं अंधेरा कब बाहर से अंदर आ गयी और मुझे पता ही न चला जबकि बस की खिड़की पूरी तरह बंद थी।
Photo - #ACP |
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