Photo #ACP |
गली के नुक्कड़ का दुकानदार
रोज सुबह-सुबह दुकान खोलकर बैठ जाता है
देर रात गए तक वह वहीं बैठा होता है
गली के एक छोड़ से मुख्य सड़क तक
ले जाने वाला ऑटो ड्राइवर भी
सुबह से शाम तक ऑटो चलाता रहता है
और ऑटो में एकजैसे गाना ही बजाता है।
और वो सब्जी वाला
सुबह और शाम
दोनों ही वक्त
एक ही जगह अपनी दुकान लगाता है।
रोज ऑफिस मैं एक ही रास्ते से जाता हूँ
और लगभग तय समय तक घर वापस आ जाता हूँ
फिर कभी कभी मेरा मन होता है
कि, मैं घर से निकलूं और
मेट्रो स्टेशन पर जमकर डांस करूँ
और सब उदास चेहरे जैसे अचानक से खिलखिला उठे
अपना बैग, टाई और जूता सब फेक दूँ
या अचानक से मेट्रो में चिल्लाने लगूं
और मेट्रो की वो लाल बटन झट से दबा दूँ कि
सब ऑफिस जा ही न पाए
और वहीं खड़े होकर एकदूसरे से पूरे दिन बात करते रहे।
ऑफिस से लौटते वक्त शाम को
जैसे मन होता है कि जूता वहीं सड़क पर खोलकर
दूर तक पैदल चलता जाऊं
और किसी अजनबी वन वे रास्ते पर निकल जाऊं
जो इस शहर से दूर ले जाती हो
सुबह रोज मैं ट्रैफिक में फंसता हूँ
और सोचता हूँ कि
अगली सुबह घर से जल्दी निकल जाऊंगा
पर अगली सुबह मैं फिर से ट्रैफिक में फंसता हूँ।
न जाने ऐसे ही क्या-क्या मैं सोचता रहता हूँ
और फिर जाकर उसी कुर्सी पर जा बैठ जाता हूँ
जिसके आगे एक पुराना सा डेस्कटॉप लगा है
और जहाँ मैं पिछले दस साल से बैठता आया हूँ।
#ACP
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