कितनों का तो रोज इलाज करती हो तुम
कभी तुम्हारा मन नहीं होता कि
बीमार पड़ जाऊं
और तुम्हारा भी कोई वैसे ही देखभाल करें
जैसे तुम कइयों का करती हो ?
तुम्हारे इंस्ट्रूमेंट्स
जिनसे तुम मेरी दांतो का इलाज़ किया करती हो
या बात बे बात मेरे पूछने पर
जिन मेडिकल टर्म्स के बारे में
मुझे बताया करती हो,
मुझे उसका कोई ज्ञान नहीं
और
यक़ीनन मैं उन टर्म्स को याद भी नहीं रख पाता
पर याद रह जाती है मुझे
तुम्हारी वो हरेक एक्सप्रेशन
तुम्हारी आँखों का तैरना
और तुम्हारी भौंह का वो सुन्दर नृत्य
सब याद रह जाता है मुझे
और मैं खुद में ही उन्हें ऐसे रिप्ले करता रहता हूँ
जैसे कोई हारमोनियम पे राग छेड़ रहा हो।
डॉक्टर नहीं हूँ मैं
फिर भी चाहता हूं कि
कभी तुम मेरे पास बिमार पड़ जाओ
और मैं तुम्हारी माथे पे गर्म पट्टी रखा करूँ
तुम्हारी तलवे को सहलाते हुए
तुम्हें कोई कविता सुनाऊं
कोई कहानी सुनाऊं।
या तुम्हें हॉस्पिटल के इस माहौल से दूर
कहीं किसी ऐसे जगह पे ले जाऊं
जो बसता हो तुम्हारी ख्वाबों में।
#ACP
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