भाग : 4
तकरीबन ढाई बजे रात में बस रामपुर पहुंची। मेरी नींद लग गयी थी और जब कंडक्टर ने मुझे जगाया तो मैं जग कर बस से बाहर निकला। बस थोड़ी देर के लिए ही रुकी थी। और उस समय तक कुछेक आदमी ही बस में बच गए थे।
कंडक्टर ने मुझसे आस्वस्ति के लहजे में पूछा "आपको रामपुर ही उतरना है न?"
पिछले तकरीबन पंद्रह घंटे से यही कण्डक्टर बस में ड्यूटी कर रहा था जबकि इस दैरान दो ड्राइवर चेंज हो गए थे। मैंने कहा "हां, उतरना तो यहीं है। पर आप कहाँ तक जाओगे?"
मेरे सवाल को उसने अपनी सवाल से काटा "आपको जाना कहाँ है?"
"पता नहीं!" मैंने उतनी ही आस्वस्ति से कह दिया। रात के ढाई बज रहे थे, रामपुर छोटा सा ही एरिया था। फिर कुछ पता चल नहीं रहा था कि इस समय कहाँ जाऊं। थोड़ी देर बाद ही ड्राइवर आ गया और उसने बस स्टार्ट कर दिया। कंडक्टर ने एक नजर मेरी ओर देखा "मैंने कहा, जहां सुबह हो जाएगी वहीं उतर जाऊंगा!"
वह कुछ बोले बगैर बैठ गया। और इस तरह फिर चलती बस से बाहर मैं द3खने लगा। कुछ देर में ही फिर से मेरी आंख लगने लगी। मैंने एक नजर अपनी बैग की ओर देखा, वह अब भी वैसी ही पड़ी थी।
सुबह लगभग 4 बजे फिर कंडक्टर ने मुझे यह कहते हुए जगाया कि बस आगे नहीं जाएगी। मैं उठा और बैग लेकर बाहर निकल आया। तब कंडक्टर ने मेरा ध्यान दिलाया, रामपुर के बाद से यहां तक का मुझे किराया देना था।
बाहर निकल कर देखा, स्टैंड पर थोड़ी बहुत चहल-पहल थी। पता चला जगह रिकोंगपिओ है। मैंने चारोओर नजर दौड़ाया, सारे आरामबेंच पर लोग बैठे थे, कहीं भी सोने की जगह नहीं थी। स्टैंड के सामने ही एक होम स्टे का बोर्ड लगा था। मैंने नंबर ट्राई किया, रिंग गया पर किसी ने कॉल पिक नहीं किया।
बाहर निकल कर एक दो बोर्ड मैंने और देखे और नंबर लगाया, इस बार भी किसी ने कॉल नहीं उठाया। मैंने पोस्ट ऑफिस के सामने, एक वृद्ध अंकल को स्टोव जलाने की कोशिश करते हुए देखा, मुझे लगा यहाँ चाय मिल जाएगी इसलिए मैं वहीं बैठ गया। थोड़ी देर बाद भी स्टोव नहीं जल पाया सो फिर मैं उठकर जगह की तलाश में निकल पड़ा।
मैं जानता था जिसे भी मैं कॉल लगाऊंगा, इस समय कॉल कोई नहीं उठाएगा। सब सोएं होंगे। फिर भी मैंने एक नंबर को दूबारा ट्राई किया, कोई रेस्पॉन्स नहीं। तीसरी बार फिर से, और उधर से नींद में ही एक आदमी बोला। उसने कहा, रूम है। मैं बस कहीं सोना चाहता था। इसलिए यह पूछे बगैर कि मुझे कितना पे करना होगा, रूम खोलते ही मैं बेड पर पलर गया। कब उसने आ कर रूम में कम्बल रखे, और कब वह रूम सटा कर गया। मुझे कुछ ध्यान नहीं रहा।
#ACP_in_Himalaya
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तकरीबन ढाई बजे रात में बस रामपुर पहुंची। मेरी नींद लग गयी थी और जब कंडक्टर ने मुझे जगाया तो मैं जग कर बस से बाहर निकला। बस थोड़ी देर के लिए ही रुकी थी। और उस समय तक कुछेक आदमी ही बस में बच गए थे।
कंडक्टर ने मुझसे आस्वस्ति के लहजे में पूछा "आपको रामपुर ही उतरना है न?"
पिछले तकरीबन पंद्रह घंटे से यही कण्डक्टर बस में ड्यूटी कर रहा था जबकि इस दैरान दो ड्राइवर चेंज हो गए थे। मैंने कहा "हां, उतरना तो यहीं है। पर आप कहाँ तक जाओगे?"
मेरे सवाल को उसने अपनी सवाल से काटा "आपको जाना कहाँ है?"
"पता नहीं!" मैंने उतनी ही आस्वस्ति से कह दिया। रात के ढाई बज रहे थे, रामपुर छोटा सा ही एरिया था। फिर कुछ पता चल नहीं रहा था कि इस समय कहाँ जाऊं। थोड़ी देर बाद ही ड्राइवर आ गया और उसने बस स्टार्ट कर दिया। कंडक्टर ने एक नजर मेरी ओर देखा "मैंने कहा, जहां सुबह हो जाएगी वहीं उतर जाऊंगा!"
वह कुछ बोले बगैर बैठ गया। और इस तरह फिर चलती बस से बाहर मैं द3खने लगा। कुछ देर में ही फिर से मेरी आंख लगने लगी। मैंने एक नजर अपनी बैग की ओर देखा, वह अब भी वैसी ही पड़ी थी।
Photo : #ACP |
सुबह लगभग 4 बजे फिर कंडक्टर ने मुझे यह कहते हुए जगाया कि बस आगे नहीं जाएगी। मैं उठा और बैग लेकर बाहर निकल आया। तब कंडक्टर ने मेरा ध्यान दिलाया, रामपुर के बाद से यहां तक का मुझे किराया देना था।
बाहर निकल कर देखा, स्टैंड पर थोड़ी बहुत चहल-पहल थी। पता चला जगह रिकोंगपिओ है। मैंने चारोओर नजर दौड़ाया, सारे आरामबेंच पर लोग बैठे थे, कहीं भी सोने की जगह नहीं थी। स्टैंड के सामने ही एक होम स्टे का बोर्ड लगा था। मैंने नंबर ट्राई किया, रिंग गया पर किसी ने कॉल पिक नहीं किया।
बाहर निकल कर एक दो बोर्ड मैंने और देखे और नंबर लगाया, इस बार भी किसी ने कॉल नहीं उठाया। मैंने पोस्ट ऑफिस के सामने, एक वृद्ध अंकल को स्टोव जलाने की कोशिश करते हुए देखा, मुझे लगा यहाँ चाय मिल जाएगी इसलिए मैं वहीं बैठ गया। थोड़ी देर बाद भी स्टोव नहीं जल पाया सो फिर मैं उठकर जगह की तलाश में निकल पड़ा।
मैं जानता था जिसे भी मैं कॉल लगाऊंगा, इस समय कॉल कोई नहीं उठाएगा। सब सोएं होंगे। फिर भी मैंने एक नंबर को दूबारा ट्राई किया, कोई रेस्पॉन्स नहीं। तीसरी बार फिर से, और उधर से नींद में ही एक आदमी बोला। उसने कहा, रूम है। मैं बस कहीं सोना चाहता था। इसलिए यह पूछे बगैर कि मुझे कितना पे करना होगा, रूम खोलते ही मैं बेड पर पलर गया। कब उसने आ कर रूम में कम्बल रखे, और कब वह रूम सटा कर गया। मुझे कुछ ध्यान नहीं रहा।
#ACP_in_Himalaya
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