भाग : 14
एक पल को लगता था कि पुल पर चढ़ूँगा और यू चुटकी में उस साइड। पर पुल की हालत देख कर साहस नहीं हो रहा था। बहुत जर्जर स्थिति में थी पुल। जैसे किसी पुरानी फिल्मों का पुल हो और जैसे ही हीरो बीच नदी में पहुंचा, पुल टूट गयी। मैंने पुल के उस पार देखा, एक भी बस्ती नहीं थी। ऐसे में भय और बढ़ जा रहा था, कि कोई इधर से उधर नहीं आ जा रहा। मतलब पुल बहुत पुरानी है।
पहाड़ों से उतरकर मैं नीचे घाटी में आ गया था। और नीचे जाने पर यह नदी बहती थी।
Photo #ACP |
मैं अपने अंदर भय और साहस के बीच तालमेल बिठाने की कोशिश कर रहा था। नदी ज्यादा गहरी नही लग रही थी। पानी का रफ्तार तेज जरूर था और बर्फ जैसी ठंडी भी। फिर मैंने सोचा कि अगर पुल टूट जाती है और मैं नीचे गिरता भी हूँ तो भी मैं नहीं मरूँगा। मैं किसी न किसी वजह से बच ही जाऊंगा।
तभी एक जंगली कुत्ता उस साइड से दौड़ता हुआ आया और एक पल को भी रुके बगैर झट से इस पार आ गया। इससे पहले कि मन मे कुछ और बातें आती, मैं पुल की ओर बढ़ गया और रस्सी के सहारे बीच पुल तक आ गया। नीचे देखा, नदी की आवाज व रफ्तार और भी डरा रही थी। धड़कने तेज़ी से बढ़ गयी। फिर मैंने सोचा जब तक धड़कने शांत नहीं होगी, मैं यहीं खड़ा रहूँगा। मैं नदियों की ओर देख रहा था। सामने ही एक बड़ा पहाड़ ऐसे खड़ा था जैसे वो मुझे साहस दे रहा हो। कुछेक मिनट के बाद ही मैं खुद के अंदर सबकुछ सामान्य होता हुआ महसूस किया। और मैं आगे की ओर बढ़ आया।
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