SRFTI का विकास और हमारा जुगारूपन
किसी शहर को जानने का सबसे बेहतर तरीका हो सकता है उसको जागते हुए देखना।और वैसे भी कोलकाता में गर्मी बहुत ज्यादा है।पसीने बहाने वाली गर्मी।इसलिए सुबह निकल जाना ही ज्यादा उपयुक्त था।यहाँ आने के बाद SRFTI घूमना पहली प्राथमिकता में थी।इसलिए आज सुबह ही थोड़े लेट से हम पीली टैक्सी से SRFTI के गेट पर पहुंच गए।
पर गेट से अंदर जा पाना एक अलग चुनौती थी।गार्ड ने हमसे कहा कि किसी स्टूडेंट को बुलाओ,उसके कहने के बाद ही अंदर प्रवेश दिया जा सकता है।दूसरा कोई विकल्प नहीं है।हम किसी भी ऐसे स्टूडेंट्स को नहीं जानते थे जो हमें प्रवेश दिलाने में मदद कर सकें।फिर भी हमने कहा कि हम विकास को जानते है पर अभी उससे कांटेक्ट नहीं पा रहा।एक्चुअली हमलोग फेसबुक फ्रेंड है।
गार्ड के चेहरे पर रौनक आयी।और वह चहकते हुए बोला विकास तो शूटिंग कर रहा है।इसलिए फ़ोन नहीं उठा रहा होगा।तभी अंदर से दो छात्र वहां आकर रुके।गार्ड ने उनसे कहा कि अरे जरा विकास को कॉल करना और इनसे बात करवा देना।हमें लगा,यार अब तो फंस गए।विकास का नाम निशांत के मुंह से इतेफ़ाकन ही निकल गया था।पर संयोग से विकास का कॉल नहीं लगा।
फ़ोटो : ACP |
हमने मामला को बिगड़ता देख उन दो छात्रों में से एक से बात किया और इंट्री दिलवाने का रिक्वेस्ट किया।वह समझ गया कि हम किसी विकास को नहीं जानते।
और इस तरह हमें इंट्री मिल गयी।SRFTI का कैंपस बहुत ही प्यारा है।कैंपस में घूमते हुए स्पष्ट दिखता है कि कैंपस का निर्माण ही कुछ इस कदर किया गया है कि यहां सब तरह का लोकेशन एक्सेस किया जा सके।कैंपस बहुत ही प्यारा है।यहाँ कुछ तस्वीरें लगा रहा हूँ।
आश्चर्य तब हुआ जब मेरे मोबाइल पर कॉल आया कि वह विकास बोल रहा है।उसके बुलाये जगह पर जब हम पहुंचे तो देखा कुछ छात्र इकट्ठे है और हमारे पहुँचते ही उनमें से एक ने कहा यार मैं तो तुम्हें जानता ही नहीं।और फिर जिन्होंने हमें इंट्री दिलवाई थी वे हसंते हुए बोले "हाँ, पहले से पता था"।
हम पहले से ही सोच रहे थे कि हर कोई विकास को जानता है।आखिर माजरा क्या है।और इस तरह हम विकास से मिले।विकास उस वक्त अपनी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे।और जिन्होंने हमें इंट्री दिलवाई थी,वे उनके साथ साउंड डिज़ाइनर थे।उनका नाम विनायक था।और इस तरह SRFTII में आज का हमारा वक्त यादगार बना।हमने काफी वक्त तक विकास के निर्देशन में बन रही फिल्म की शूटिंग को देखा और अंततः दो चरित्रों की कमी को हमनें एक्ट करके भी पूरा किया।निशांत (Nishant) ने बेहतर एक्ट किया।
विनायक ने हमें काफी वक्त दिया।उन्होंने मेस में खाना भी खिलवाया।खाना बेहद स्वादिष्ट था।यह विनायक की उदारता थी जिससे SRFTI जाना और यादगार बन गया।अब शायद अगले वर्ष वहाँ स्टडी के लिए जाना हो सके।पर हमारे यादों के हिस्से में आज SRFTI का जितना भी वक्त आया वो बेहद दिलचस्प रहा।
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