जब हम विकल्प ढूंढ़ते है
भूटान जाने के लिए परमिट बनाते वक्त होटल बुकिंग के डिटेल्स भी शो करने होते है।पर जो रेट हम होटल के अलग-अलग साइट पे देख रहे थे वे हमारे बजट में फिट नहीं बैठ रहा था।
पर जाना तो था।ऐसे में विकल्प तो होते ही है,थोड़े प्रयास से मिल भी जाते है।अपनी यात्रा अनुभव से ही मैंने सीखा है कि किसी शहर का ऑटो वाला वहाँ की पुख्ता जानकारी दे सकता है।हासिमरा से जयगांव के बीच की दूरी को हमने ऑटो से तय किया और इस दौरान मैं ऑटो ड्राइवर के बगल में बैठ कर बातें करता रहा।
जब हम किसी से मदद चाहते है तो पहले हमें अपनी स्थिति स्पष्ट कर देनी होती है।मसलन यात्रा में हमारा बजट क्या है? किन-किन बातों के प्रति हम अनिश्चिन्तता महसूस कर रहे है?
तकरीबन 40 मिनट के सफर में ड्राइवर से मैंने अच्छा बॉन्डिंग बना लिया।जयगांव पहुंचते ही उसने हमें एक सस्ते ट्रेवल एजेंट से मिलवाया पर उससे कुछ बातें न बनी।फिर भी ऑटो ड्राइवर हमें पर्याप्त जानकारी दे चुका था।और फिर कुछ लोकल से बात करने के बाद सबकुछ स्पष्ट हो गया था।
भूटान में हमें कुछ ऐसे मित्र मिले जिन्होंने होटल बुकिंग पहले से करवा रखी थी और उन्होंने हमसें चार गुना ज्यादा पे किया था जबकि हमारे होटल में कुछ खास फर्क नहीं था।
संभावनाओं की तलाश हमारे लिए हमेशा नई राहें खोलती है।उसी शाम जयगांव में हमें एक ऐसे दोस्त मिले जिन्होंने हमसे दो सौ रुपया लेकर होटल की फेक बुकिंग हमें दे दिया जो परमिट बनाते वक्त मात्र एक फॉर्मेलिटी के तौर पर पेश किया जाता है।
#ACP_in_Bhutan
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