तुम सारे दीवालों को पोत दो,
इन तीन रंगों से
सड़के, आसमान और यहाँ तक की हवा को भी
रंग दो इन तीन रंगों से।
इन तीन रंगों से
सड़के, आसमान और यहाँ तक की हवा को भी
रंग दो इन तीन रंगों से।
शहर, गांव और
नगर के हरेक नुक्कड़ तक का नाम बदल दो
और रख दो वह नाम
जो तुम्हारे हिसाब से देशप्रेम का प्रतीक हो।
नगर के हरेक नुक्कड़ तक का नाम बदल दो
और रख दो वह नाम
जो तुम्हारे हिसाब से देशप्रेम का प्रतीक हो।
हरेक का नाम भी बदल दो
नदी, नक्स, पेड़ जंगल
सब का नाम बदल दो
और बना दो एक कानून की
हरेक जन्मने वाले का नाम भी
देशप्रेम रख दिया जाए।
नदी, नक्स, पेड़ जंगल
सब का नाम बदल दो
और बना दो एक कानून की
हरेक जन्मने वाले का नाम भी
देशप्रेम रख दिया जाए।
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Photo #ACP |
उसे कपड़े देशप्रेम की पहनाया जाए
उसे कहानी देशप्रेम की सुनाई जाए
और स्कूल में भी उसे केवल देशप्रेम की ही शिक्षा दी जाए।
उसे कहानी देशप्रेम की सुनाई जाए
और स्कूल में भी उसे केवल देशप्रेम की ही शिक्षा दी जाए।
तुम यह भी कानून बना दो कि
लोग केवल देशप्रेम की ही बातें करें
देशप्रेम की रचना करें
देशप्रेम की गीत गाए
देशप्रेम की सिनेमा बनाए
और देशप्रेम की बात चले तो
सम्मान पूर्वक, वह खड़ा हो जाए।
लोग केवल देशप्रेम की ही बातें करें
देशप्रेम की रचना करें
देशप्रेम की गीत गाए
देशप्रेम की सिनेमा बनाए
और देशप्रेम की बात चले तो
सम्मान पूर्वक, वह खड़ा हो जाए।
और जो भी ऐसा न करें
उसे सरे राह सूली पे चढ़ा दो
एक भीड़ को तैयार कर दो
जो सारे आम
तुम्हारी इस सड़ी हुई मानसिकता को ढ़ो सके,
उसे सह दे सके।
उसे सरे राह सूली पे चढ़ा दो
एक भीड़ को तैयार कर दो
जो सारे आम
तुम्हारी इस सड़ी हुई मानसिकता को ढ़ो सके,
उसे सह दे सके।
बीते हज़ारो सालों में
ऐसा नहीं हुआ, फिर भी देश चलता रहा
देशप्रेम की भावना बरकरार रही,
ऐसा नहीं हुआ, फिर भी देश चलता रहा
देशप्रेम की भावना बरकरार रही,
पर तुम कुछ उच्चक्के ऐसे थे,
जिसने इस भावना को महसूस ही नहीं किया
जिसे समझ ही नहीं आया कि
देशप्रेम आखिर अंदरूनी भावना है,
और तुम लग गए अपनी रोटी सेकने।
जिसने इस भावना को महसूस ही नहीं किया
जिसे समझ ही नहीं आया कि
देशप्रेम आखिर अंदरूनी भावना है,
और तुम लग गए अपनी रोटी सेकने।
मैं नहीं कहता कि
तुम नहीं कामयाब होगे अपनी मकसद में
तुम तो हो भी रहे हो,
तुम नहीं कामयाब होगे अपनी मकसद में
तुम तो हो भी रहे हो,
पर देखना एकदिन
इन्हीं तीन रंगों वाली झंडे की डंडे से,
मारेंगे लोग तुम्हें
तुम्हें नंगा नाच नचाया जाएगा
तुम भागना चाहोगे पर भाग नहीं पाओगे
चारों ओर तुम्हें यही तीन रंग दिखेंगे
कोई नहीं बचा पायेगा तुम्हें
तुम्हारे बाप दादा सावरकर भी नहीं।
इन्हीं तीन रंगों वाली झंडे की डंडे से,
मारेंगे लोग तुम्हें
तुम्हें नंगा नाच नचाया जाएगा
तुम भागना चाहोगे पर भाग नहीं पाओगे
चारों ओर तुम्हें यही तीन रंग दिखेंगे
कोई नहीं बचा पायेगा तुम्हें
तुम्हारे बाप दादा सावरकर भी नहीं।
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