भाग : 2
तकरीबन पांच-सात मिनट बाद मेरी बारी आयी, और जैसे ही मैं काउंटर पे पहुंचा, मैंने पूछा "भईया, स्पिटी के लिए बस मिलेगी?"
उसने जल्दी में बोला "अभी पास खुला नहीं है।"
"तो, कब खुलेगी?"
"जब खुलेगी अखबार में बड़ा बड़ा लिखा आ जाएगा।"
"तो, कब खुलेगी?"
"जब खुलेगी अखबार में बड़ा बड़ा लिखा आ जाएगा।"
इससे आगे न तो मेरे पास कोई प्रश्न था और न ही मैं कुछ पूछना चाहता था। कल से लेकर आज तक में मैंने ओल्ड मनाली से लेकर न्यू मनाली में कितने लोगों से पास के बाबत पूछा था। सब अलग अलग जवाब देते। कोई कहता रोहतांग खुल गया है, जबकि कुंजुम पास अभी भी क्लोज है। तो कोई कहता दोनों ही बंद है।
दूसरी ओर टैक्सी वाले कह रहे थे कि वे तीन हज़ार रुपए में स्पिटी छोड़ देंगे। अब जब पास ही नहीं खुला तो वे कैसे स्पिटी छोड़ देंगे, पता नहीं। मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था, मैं वहीं मनाली बस स्टॉप पे बैठकर डिस्प्ले देखने लग गया। पहले बस का डिस्प्ले टाइमिंग देखता और फिर मोबाइल में मैप। इस तरह मैं समझ पाया कि स्पिटी जाने का दूसरा रूट भी है, पर वह बहुत लंबा है। मसलन अगर रोहतांग से होकर जाते है तो छह से सात घंटे (मनाली की ट्रैफिक छोड़कर) और अगर घूम कर जाते है तो लगभग पचास-पच्चपन घंटे से भी ज्यादा।
Photo : #ACP |
मैं खुद से पूछ रहा था कि मेरा लक्ष्य स्पिटी पहुंचना है या पहाड़ों में घूमना? मैं सोचता रहा। कई बार दिमाग सुन्न हो जाता है। फिर समझ नहीं आता क्या करें। मैं बैग उठाकर बस स्टैंड का चक्कर काटने लगा। धूप इतनी तेज नहीं थी, इसलिए सनलाइट जलाने के बजाए सुखद लग रही थी। अलग अलग कंडक्टर से कुछ बातें करता रहा। और उनसे पता चला कि अभी कुछ देर में सबसे लंबी रुट की गाड़ी रामपुर बुशहर की है, जो कई गांवों से होकर गुजरेगी, और वहाँ से तुम शिमला जा सकते हो। ये आईडिया मुझे अच्छा लगा और फिर मैं इस निर्णय पर पहुंचा कि नया रूट लेते है, गांवों में घूमते हुए शिमला पहुंचेगे। जहां रात होगी, वहीं रुक जाएंगे।
और फिर मैं काउंटर से रामपुर बुशहर के लिए टिकट ले लिया। इसके लिए मुझे 445 रुपये चुकाने पड़े। बस अगले पंद्रह मिनट बाद ही खुलने वाली थी और रात के तकरीबन ढाई बजे मुझे रामपुर छोड़ेगी। मन में यह भी प्रश्न थी कि इतनी रात को कहाँ जाऊँगा। पर मैं रामपुर में ही उतरूंगा, यह भी तय नहीं था।
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