भाग : 12 और अब छह दिनों के बाद भटकता हुआ दिन के लगभग 11 बजे काज़ा पहुंचा। काज़ा पहुंचने के दौरान अनायास ही मैं सोचता रहा था कि काज़ा के बाद क्या करूँगा। पर अगले ही पल उतने ही आसानी से मैं इस बात को पीछे भी कर देता और सोचता आगे देखेंगे। यात्रा करते हुए मैं इन अनायास प्रश्नों से भी मुक्त होने के प्रयास में रहता हूँ जो जाने अनजाने हमारी सुरक्षा को लेकर मन मे चलती रहती है। अब इतना समझ गया था कि प्रकृति सबका ख्याल रखती है इसलिए कुछेक बातों को उनके भरोसे छोड़ देना चाहिए। शाम तक कहीं न कहीं ठिकाना मिल ही जाएगा। चोंगा से जिस बस में बैठा था, उसी बस में पीछे रिकोंगपिओ से भी आया था। सो इस दौरान ड्राइवर व कंडक्टर से अच्छी दोस्ती हो गयी थी। उन्हीं लोगों ने बताया कि काज़ा में अक्षय कुमार शूटिंग के लिए आये हुए है और इस वजह से वहां बहुत भीड़ है और सारे होम स्टे व होटल भी बुक होंगे। मैं आगे कुछ सोच ही रहा था कि उन्होंने कहा या तो आप मूड चले जाओ या समनम। वहां आप मोनेस्ट्री में रह लेना या सस्ता होम स्टे मिल जाएगा आपको। आईडिया अच्छा लगा, और पता चला वह बस ही काज़ा से चार बजे कुंगरी गांव की ओर जाएंगी। मै...
चप्पा-चप्पा...मंजर-मंजर...